Friday, July 25, 2008

पहचान

मुझे निष्क्रिय करने वालो
तुम भी अछूते न रहे
मझे छोड़ लापरवाही से ,
तुम खुश रहे |
किनतु कुछ बच्चो ने टूटा खिलौना समझ मुझे उठा लिया |
मेरे अन्दर की बारूद को नन्हे हाथो से रंगकर ,
कई दिनों तक रस्सी बांधकर झूलते रहें, खेलते रहें ,झूमते रहे ,
खुशिया मनाते रहें |
और मै अपना अस्तित्व भूल गया |
फ़िर बच्चे मुझसे उब गये
टूटे खिलोने की भरी टोकरी में ,
मै भी सम्मिलित हो गया |
मेरा बारूद फ़िर बिखरने लगा |
उसके कण कण हवा में उड़ने लगे ,
उनरंग बिरंगे कणों को देखकर मै तम्हें धन्यवाद देता हुँ
की इस" बम्" को तुमने
सही पहचान दे दी |

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