Monday, September 05, 2011

बस कुछ यू ही .....

दो सामानांतर
रेखाओ को
काटती है
है एक
खड़ी लकीर |
ऐसा तुम !
कई बार कह चुके हो|

मै खोज में हूँ ?
वो अद्रश्य
खड़ी लकीर कहाँ से आई ?

तुम्हारी ख़ामोशी
मेरी ख़ामोशी
समानांतर
रेखा
तो नहीं ?

बहुत कुछ छिपाने की
तुम्हारी
ख़ामोशी

मेरे खालीपन की
ख़ामोशी को
समानांतर

कैसे मान लिया ?