Wednesday, November 16, 2011

ये सब यू ही नहीं ?

मेरा ये भ्रम
मुझे जीवन देता है
की चाँद ,
तुम मेरे साथ-साथ
चलते हो |
ये भ्रम ,ये आभास
ये कल्पना भी
तभी है
जब मै
तुम्हे चाँद
ही रहने देती हूँ |



तुम्हे पाऊं
तुमहारे कांधे प़र
सर रखू
ऐसी मेरी
कोई तमन्ना नहीं
तुम्हारी तरह
अपनों के काँधे
प़र बन्दूक रखू
ऐसी मेरी फितरत नहीं

तुम्हारे शब्दों के
तीर सहू
तुम्हारी अंकशायिनी बन
इतराऊं
सिर्फ
ये ही तो
मेरी किस्मत नहीं ?