Saturday, June 01, 2013

सुविधा भोगी हम

सुविधा भोगी हम


 
 
 
 
सुविधाओ के आगोश में पलते हम ,
सुविधाओ के जंगल में खो गये हम ,
क्रांति की मशाल जलाते जलाते
सुविधाओ की अभिव्यक्ति में सिर्फ वाचाल हो गये हम |
बाजार की सुविधा में ,सुविधा के बाजार में
तन से धनवान मन से कंगाल हो गये हम ।